टैरेस गार्डेन – जिस प्रकार हमारे देश में वाहनों की संख्या बढ़ रही है उसी प्रकार वातावरण में प्रदूषण भी बढ़ता जा रहा है। जिससे हवा में लगातार नए नए वायरस और बैक्टीरिया बढ़ते जा रहे हैं। जो हवा को प्रदूषित कर रहे हैं। जिससे हवा में ऑक्सीजन की कमी होती जा रही है। जैसा कि हम सब जानते हैं कि इस वर्ष अधिकतर मौतों का कारण ऑक्सीजन की कमी होना था। ऐसे में इस समस्या से निपटने का सिर्फ एक ही उपाय है। घरों में प्लांट्स लगाएं और एक गार्डेन बनाएं।
लेकिन शहरों में जगह कम होने के कारण ज़्यादा पौधे नहीं लगाए जा सकते हैं। इस कंडीशन में आप अपने घर की छत पर कुछ सब्जियों व फलों तथा फूलों के पौधे लगाकर एक सुंदर सा गार्डेन बना सकते हैं। जो वातावरण को भी शुद्ध रखेगा और आपके मन को भी शांति देगा।
इसके अलावा ये आपकी किचन की आवश्यकताओं को भी पूरा करेगा। आम तौर पर हम गार्डेनिंग कर तो लेते हैं परन्तु सही तरीका ना पता होने के कारण हमारे पौधे सूखने लगते हैं तथा पौधों में कई बीमारियां भी लग जाती हैं। आपकी इन्हीं सब समस्याओं का समाधान हम इस आर्टिकल के माध्यम से बताएंगे।
टैरेस गार्डेन बनाने के लिए निम्न चीज़ों की आवश्यकता होगी-
1-Pots/Containers/HDPE Grow Bags(Cement,Clay Pots,Plastic)
2-Soil(Prepare light weight)
3-Seeds(Seasonal Veg)
4-Fertilizers
5-Tools(Spray Bottles, Watering Cane, Hand Sharp Blade, Branch Cutter, Pruning Shears, Big Tub, Bucket, String, Towel, Gloves,Sticks for Supporting Vines)
1-गमलों का चुनाव(Pots/ Container Selection)-
ये कई प्रकार के होते हैं जैसे प्लास्टिक, सीमेंटेड, मिट्टी के बने पॉट्स इत्यादि। लेकिन पौधों को अच्छी तरह उगाने के लिए मिट्टी के पॉट्स बेस्ट होते हैं। इनकी कीमत 50 रू• से लेकर 500 रू• तक होती है। फूलों के पौधे लगाने के लिए रेक्टेंगुलर पॉट्स बेस्ट होते हैं।
पत्तियों वाली सब्जियां, मिर्च, बैंगन, टमाटर इत्यादि के लिए 8 से 12 इंच के गमले बेस्ट हैं। बेलों वाली सब्जियां जैसे लौकी , तुरई, करेला, लॉन्ग बीन्स,लिमा बीन्स के लिए बड़े कंटेनर की आवश्यकता होगी। इसके लिए फ्रूट कैरेट, प्लास्टिक ग्रोइंग बैग्स या 15 लीटर ऑयल ज़ार, ओल्ड टब, पेंट बकेट का प्रयोग कर सकते हैं।
2-मिट्टी बनाना(Soil Preparation)-
टैरेस गार्डेन बनाने के लिए घर की छत पर हम ज़्यादा हैवी मिट्टी का प्रयोग नहीं कर सकते। क्योंकि इससे छत पर ज़्यादा वेट होने के कारण ये डैमेज भी हो सकती है। इसलिए पॉट्स में भरने के लिए हल्की मिट्टी का प्रयोग करें। यह मिट्टी न्यूट्रीशन रिच और वेल ड्रेन होती है। इसे बनाने की विधि –
12 इंच पॉट्स की मिट्टी बनाने के लिए –
Garden soil- 50%
Cow dung compost or vermicompost- 30%
Coco peat/Sand- 20%
Neem Cake Powder (Khali)- 3 Handful (Natural Fungicide)
यदि आपके पास मिट्टी ज़्यादा नहीं है तो आप हल्की मिट्टी बनाने के लिए गार्डेन की मिट्टी 20% प्रयोग कर सकते हैं और कोको पीट 50%(नारियल का बुरादा) , परलाइट 10%(यह वोलकनिक ग्लास एश होती है जो मॉइश्चर और न्यूट्रिएंट्स एब्जॉर्ब कर मिट्टी को लाइट बनाती है), वर्मी कम्पोस्ट 20%(खाद), नीम केक पाउडर 2 मुठ्ठी प्रयोग कर सकते हैं। यह पौधे को फंगस लगने से बचाता है।
गमले को भरना(Pots Filling)-
पॉट्स में मिट्टी भरने से पहले पॉट्स में कुछ ड्रेनिंग होल्स बना लें। ताकि पॉट्स में ज़्यादा पानी ना रुके। इसके बाद इसमें कुछ फाइन स्टोंस (गिट्टी) लेकर एक इंच की लेयर बना लें जिससे पानी के साथ मिट्टी ना बह सके। अब इसमें मिट्टी भर दें और थोड़ा पानी भी डाल दें। पॉट को 2 व 3 इंच ऊपर से ख़ाली रखें।
3-बीजों का चुनाव(Seeds Selection & Germination)-
हमेशा अच्छी क्वॉलिटी के हायब्रिड बीजों का प्रयोग करें। बीजों से पौधे उगाने के लिए पहले जरमिनेशन ट्रे का प्रयोग करें।
जरमिनेशन ट्रे की मिट्टी बनाने के लिए-
कोको पीट -60 %
वर्मी कम्पोस्ट -40%
इसे ट्रे के होल्स में भर दें और कुछ पानी डाल दें। अब बीज को उसकी थिकनेस की डबल गहराई से इसे मिट्टी में लगा दें। लौकी,तुरई,करेला के बीजों को एक रात के लिए पहले पानी में भिगोकर रखें उसके बाद उसे ट्रे में लगाएं।
जब दो या तीन पत्तियां निकल आएं। तब इसे 8 से 12 इंच के कंटेनर में ट्रांसफर कर दें। एक गमले में कई पौधे ना लगाएं। वर्ना ये दूसरे पौधों से न्यूट्रीशन के लिए कॉम्पिटीशन करते रहेंगे। और पौधे अच्छी तरह से ग्रो नहीं कर पाएंगे। बड़े गमले में 10 इंच की दूरी पर दूसरा पौधा लगा सकते हैं।
4-उर्वरक (Fertilizers)- पौधों को उनकी विभिन्न अवस्थाओं में अच्छी ग्रोथ के लिए फर्टिलाइजर्स की आवश्यकता होती है। केमिकल फर्टिलाइजर्स और पेस्टीसाइड्स को अवॉइड करें। गाय के डंग से या किचन वेस्ट और सूखे पत्तों से कंपोस्ट तैयार करें और इसका सही मात्रा में प्रयोग करें। मीडियम साइज के कंटेनर में 2 हैंडफुल कम्पोस्ट का प्रयोग करें। बड़े कंटेनर में 4 हैंडफुल कम्पोस्ट डालें।
Seasonal Vegetables & Fruits & Décorative & Medicinal & Flowering Plants-
1-सब्ज़ियां(Vegetables)-
इन पौधों को ज़्यादा धूप की आवश्यकता होती है और इन्हें निम्न मौसम में लगाया जा सकता है –
May-Aug – यह रेनी सीज़न होता है। इसमें आप छोटे गमलों में पालक,मेथी, धनिया, चौलाई, चुकंदर,शलजम और मूली इत्यादि उगा सकते हैं। इनकी फसल तैयार होने की अवधि इस प्रकार है –
1-मूली(Raddish) – 30-60 Days
2-पत्ता गोभी(Cabbage) – 4 Months
3-बैंगन(Brinjal) – 4 Months
4-भिन्डी(Lady Finger) – 2 Months
5-टमाटर(Tomatoes) – 3 Months
6-शिमला मिर्च(Bell Pepper) – 3 Months
7-धनिया(Coriander) – 1 Months
Apr- July –
इस सीज़न में आप 24 इंच कंटेनर में लौकी उगा सकते हैं। जोकि 50-70 दिनों में फसल देने लगती है। तुरई 70 दिनों में फल देने लगती है। लिमा बीन्स भी 70 दिनों में तैयार हो जाती हैं। खीरा 65 दिनों में तैयार होता है। लॉन्ग बीन्स 60 दिन में तैयार हो जाती हैं। सभी बेलों वाली वेजिटेबल्स में 3 g cutting करने से फसल चार गुना बढ़ जाती है।
बेलों की ब्रांच जब 5ft लंबी हो जाएं तब 3 जी कटिंग करने से फीमेल फ्लॉवर्स की ग्रोथ बढ़ जाती है। जिससे फलों की संख्या अधिक हो जाती है। जब मिट्टी सूखने लगे तब इन पौधों में पानी दें।
2-फलों के पौधे(Fruit Plants)-
कुछ फ्रूट्स की डवार्फ वेरायटी नर्सरी में उपलब्ध होती हैं। जोकि 2 फीट या 4 फीट के प्लांट्स होते हैं और फल भी भरपूर देते हैं। इन्हें 24 इंच के कंटेनर में लगा सकते हैं। फलों के पौधे ग्राफ्टेड यानि कि कलम वाले लगाने चाहिए। यह जल्दी बढ़ते है और फसल भी जल्दी प्राप्त की जा सकती है। निम्न पौधों को पॉट्स में लगा सकते हैं-
1-Strawberry(स्ट्रॉ बेरी) – 3 Months
2-Indian Jujube(एप्पल बेरी)- 1 Yr
3-Guavas(अमरूद)- 1 Yr
4-Sapodilla(चीकू)- 2.5 yrs
5-Grapes(अंगूर)- 1 Yr
6-Pomegranate(अनार)- 2.5 yrs
7-Lemon(नींबू)- 1 Yr
3-घर में लगने वाले सजावटी पौधे(Indoor & Decorative Plants)-
सजावटी पौधों को लगाने से गार्डेन सुंदर दिखता है और ये वायु को भी शुद्ध करते हैं। इन्हें ज़्यादा धूप की भी आवश्यकता नहीं होती। जैसे –
1-Money Plant
2-Christmas Tree
3-Golden Cypress or juniper
4-Areca Palm
5-ZZ Palm
6-Ficus
7-Rubber Plant
8-Snake Plant
4-औषधि वाले पौधे(Medicinal Plants)-
Neem,Tulsi or Basil, Aloevera, Giloy, Betel, Mint, Bishop’s Weed or Ajwain
5-फूलों के पौधे(Flowering Plants)-
इन पौधों को ज़्यादा धूप की आवश्यकता होती है।
All Seasonal(सभी मौसम में लगने वाले पौधे)-
Bougainvillea, Hibiscus(गुड़हल), Peace Lilly(Need 3 hrs sunlight), Night Jasmine(रात रानी), Jasminum(चमेली), Sambac(मोगरा), Marigold(गेंदा)
Winter to Spring(सर्दी से वसंत तक लगने वाले पौधे)-
Petunia, Pancy, Rose, Dahlia, Chrysanthemum(गुलदाऊदी), Portulaca, Marigold
सुरक्षा (Protection)-
सभी पौधों को ग्रीन नेट या फाइबर शेड्स से प्रोटेक्ट करें ताकि ये भारी वर्षा से सुरक्षित रह सकें। महीने में एक बार पॉट्स की tilling यानि कि गुड़ाई करें। टिलिंग मिट्टी को लूज़ कर पानी को ब्लॉक होने से बचाती है। और यह वायु को जड़ों तक पहुंचाती है।
बीमारियां (Pest or Diseases)-
पेस्ट ब्लैक और व्हाइट कलर के बग्स, स्पाइडर माइट्स और एफिडस होते हैं। जोकि पौधों को बढ़ने से रोकते हैं।
उपचार (Treatment)-
1- 5 ml नीम का तेल लेकर 1 लीटर पानी में मिक्स कर लें और इसे 15 दिन में एक बार स्प्रे करें। इसके अलावा नीम के पत्ते बॉयल करके भी नीम का पानी बनाया जा सकता है।
2-पौधों में आवश्यकता से अधिक पानी देने से फंगल डिज़ीज़ हो जाती है जिससे पौधा सूखने लगता है। इसलिए पानी का प्रयोग इस प्रकार करें-
Summer- once or twice daily
Winter – two or three times in a week
Rainy- When soil start to dry
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