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स्ट्रॉबेरी के पौधे प्लास्टिक और मिट्टी के गमलों में उगाएं।

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स्ट्रॉबेरी में Vitamin A , Vitamin C , Vitamin E, Vitamin K, Vitamin B Complex, Folate, Iron, Copper, Magnesium, Phosphorus, Potassium, Protein, Carbohydrates, Antioxidants, Fiber इत्यादि न्यूट्रिशंस भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं।

जो स्वास्थ्य के लिए अत्यधिक लाभदायक होते हैं। यह एक पहाड़ी फल है। इसके पौधे में 3-4 वर्ष तक फ्रूटिंग होती रहती है। सर्दियों में इसे उन एरिया में भी उगा सकते हैं। जहां पर दिन में टेंप्रेचर 18-20 सेंटीग्रेट हो और रात्रि में 10 सेंटीग्रेट तक रहता हो। स्ट्राबेरी की कॉमन वैरायटी Winter Star, Sweet Charlie, Chandler, Belrubi, Fern, Pusa Early Dwarf इत्यादि हैं।

Propagation-

इसके पौधे को तीन प्रकार से उगाया जा सकता है –

1-बीजों द्वारा-

एक मैच्योर स्ट्रॉबेरी लेकर किसी पिन द्वारा उसके बीजों को अलग कर लें। इन बीजों को टिश्यू पेपर पर रखकर सूखा लें। जरमिनेशन ट्रे में 50% वर्मिकम्पोस्ट 50% कोकोपीट को मिलाकर भर दें। ऊपर से स्ट्रॉबेरी के बीज डालकर हल्का पानी स्प्रे कर दें।

18 दिन बाद इसमें 3-4 पत्तियां निकल आयेंगी। फिर 2 पौधों को जड़ सहित निकालकर, किसी 24 इंच के प्लास्टिक के गमले में मिक्स सॉइल भरकर 10-12 इंच की बराबर दूरी पर लगा दें। गमले में ड्रेन होल अवश्य रखें। यदि मिट्टी के गमले में लगाते हैं। तो 12 इंच के पॉट में एक ही पौधा लगाएं।

Mix Soil-

गमले की मिक्स सॉइल बनाने के लिए 50% गार्डेन सॉइल, 30% वर्मीकंपोस्ट या काऊ डंग, 20% कोकोपीट, 2 मुठ्ठी नीम खली पाउडर(ऑर्गेनिक फंगिसाइड) इत्यादि मिलाना चाहिए।

2-बेबी प्लांट्स द्वारा-

एक मैच्योर प्लांट की जड़ों के आस पास छोटे छोटे बेबी प्लांट्स उगते हैं। उन्हें किसी दूसरे गमले में मिक्स सॉइल भरकर शिफ्ट कर दिया जाता है।

3-नर्सरी सीडलिंग द्वारा-

इनमें सबसे अच्छा तरीका नर्सरी सीडलिंग का है। इसमें आप नवंबर के महीने में किसी नर्सरी से ग्रो किया हुआ पौधा लेते हैं। और उसे गमले में मिक्स सॉइल भरकर ट्रांसप्लांट करते हैं।

Plant Mulching & Watering-

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पौधे में जैसे ही फूल आने शुरू हो जाएं। तुरंत सूखी घास या गेहूं के पौधे से निकलने वाली सूखी घास, गमले में लगे स्ट्रॉबेरी पौधे की जड़ों के आस पास रख दें।

मल्चिंग से स्ट्रॉबेरी का फल मिट्टी के कॉन्टेक्ट में नहीं आता। जिससे पौधे में फंगस लगने का रिस्क नहीं रहता। यह घास टेंप्रेचर भी मेनटेन रखती है। पौधे को अधिक ठंड से भी बचाती है।

जब पौधे की मिट्टी 1-2 इंच तक सूखने लगे तब घास हटाकर पॉट में पानी स्प्रे कर दें। पानी स्ट्रॉबेरी पौधे के ऊपर से ना डालें। इससे पौधा ख़राब हो सकता है।

Fruiting & Harvesting-

पौधे में 1 महीने में फल आने लगते हैं। 2 महीने में अधिक फल आने लगते हैं। 65 दिन में फसल कटने के लिए तैयार हो जाती है।

Fertilizer-

प्रत्येक 15 दिन में पौधों में खाद अवश्य डालें।
50% वर्मीकंपोस्ट या काऊ डंग, 50% नीम खली पाउडर, 1 मुठ्ठी केले के छिलकों का पाउडर (Potassium Rich) गमले में डाल दें। ऊपर से मल्चिंग कर दें।

जैसे ही पौधे में फूल आने लगें इस पौधे में 5ml Seaweed extract liquid और 1 लीटर पानी मिक्स करके गमले में डाल दें। इससे पौधे को सभी आवश्यक माइक्रो न्यूट्रिएंट मिल जाएंगे। जिससे पौधा तेज़ी से ग्राे करेगा।

Care-

स्ट्रॉबेरी के पौधे लगाने का सही समय नवंबर से जनवरी तक होता है। इसके पौधे में फल 2-3 वर्ष तक अधिक मात्रा में आते हैं। उसके बाद इसकी प्रोडक्टिविटी लो हो जाती है।

इसकी प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए और पौधे में दोबारा अच्छी फसल पाने के लिए, अक्टूबर या नवंबर में इस पौधे की रिपाटिंग कर दें। यानि कि नई मिक्स मिट्टी बनाकर किसी दूसरे गमले में भरकर पुराने पौधे को लगा दें।

पुरानी पत्तियां पौधे से अलग करते रहें। नॉन फ्रूटींग सीज़न में महीने में एक बार फर्टिलाइजर अवश्य डालें। स्ट्रॉबेरी के गमलों के आस पास क्लस्टर फूलों वाले पौधों के गमले अवश्य रखें। जिससे पॉलीनेशन इंसेक्ट आ सकें। पॉट्स को नायलॉन नेट कवर एरिया में रखें। इससे चिड़िया या गिलहरी से पौधा सुरक्षित रहता है।

Diseases-

Leaf Scorch-इसमें पौधे की पत्तियां ब्राउन होकर गिरने लगती हैं।

Root Rot- इसमें आवश्यकता से अधिक पानी देने के कारण पौधे की जड़े गलने लगती हैं। और उनमें फंगस लग जाता है।

Prevention-

निम्न मिश्रण को बनाकर पौधे पर स्प्रे करें-

1 tsp Organic Fungicide (Neem Khali Powder) + 5 ml Neem Oil + 1 ltr Water

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