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किसानों के लिए खुशखबरी: IIT बॉम्बे ने खोजा फसल उत्पादन बढ़ाने वाला बैक्टीरिया

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IIT बॉम्बे के वैज्ञानिकों ने एक ऐसा बैक्टीरिया खोज निकाला है जो मिट्टी की सफाई करने के साथ-साथ फसल उत्पादन को 50% तक बढ़ा सकता है। यह खोज न केवल मिट्टी की गुणवत्ता को बेहतर बनाती है, बल्कि रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का एक स्थायी विकल्प भी प्रदान करती है। यह खबर किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।

कैसे काम करता है यह बैक्टीरिया

IIT बॉम्बे ने खोजा फसल उत्पादन बढ़ाने वाला बैक्टीरिया

IIT बॉम्बे के बायोसाइंसेज और बायोइंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर प्रशांत फले और उनकी टीम ने इस बैक्टीरिया की पहचान की। खासतौर पर स्यूडोमोनास और एसिनेटोबैक्टर नामक जीवाणु प्रजातियां मिट्टी में मौजूद हानिकारक प्रदूषकों को तोड़कर उन्हें पौधों के लिए उपयोगी पोषक तत्वों में बदलने में सक्षम हैं।

ये बैक्टीरिया मिट्टी के विषाक्त यौगिकों को विघटित कर उन्हें फॉस्फोरस और पोटैशियम जैसे घुलनशील पोषक तत्वों में परिवर्तित करते हैं। इसके अलावा, ये इंडोलएसेटिक एसिड (IAA) नामक वृद्धि हार्मोन और साइडरोफोर नामक पदार्थ का उत्पादन करते हैं, जो पौधों की जड़ों को पोषक तत्वों को अधिक प्रभावी ढंग से अवशोषित करने में मदद करता है।

मिट्टी को प्रदूषण से बचाने की ताकत

IIT बॉम्बे ने खोजा फसल उत्पादन बढ़ाने वाला बैक्टीरिया
Image credit – IIT Bombay

मिट्टी में कीटनाशकों और औद्योगिक प्रदूषकों के कारण होने वाले प्रदूषण से निपटना आसान नहीं है। पारंपरिक तरीकों, जैसे रासायनिक उपचार या मिट्टी हटाने की प्रक्रिया, महंगी और अल्पकालिक होती है।

IIT बॉम्बे के शोधकर्ताओं ने पाया कि ये बैक्टीरिया न केवल प्रदूषकों को खत्म करते हैं, बल्कि मिट्टी की उर्वरता को भी बहाल करते हैं। यह मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाते हुए पौधों की वृद्धि और उपज में 50% तक सुधार कर सकता है।

फंगल रोगों से बचाव

फसलों में फंगल रोग एक बड़ी समस्या है, जो हर साल वैश्विक स्तर पर 10-23% तक फसल हानि का कारण बनता है। IIT बॉम्बे का यह बैक्टीरिया फसलों को फंगल रोगों से बचाने में भी मददगार है।

ये बैक्टीरिया लिटिक एंजाइम और हाइड्रोजन साइनाइड (HCN) का उत्पादन करते हैं, जो फसलों पर हमला करने वाले हानिकारक कवकों को खत्म कर सकते हैं। यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प है, जो रासायनिक फफूंदनाशकों की तुलना में अधिक प्रभावी और टिकाऊ है।

वास्तविक प्रयोग और भविष्य की संभावनाएं

IIT बॉम्बे ने खोजा फसल उत्पादन बढ़ाने वाला बैक्टीरिया

शोधकर्ताओं ने इन बैक्टीरिया का प्रयोग गेहूं, मूंग, पालक और मेथी जैसी फसलों पर किया। परिणामस्वरूप, फसल की वृद्धि और उत्पादन में 50% तक की बढ़ोतरी देखी गई। यह एक बड़ी उपलब्धि है, जो किसानों की आय को दोगुना करने में मदद कर सकती है।

हालांकि, इस तकनीक को व्यावसायिक रूप से लागू करने में अभी समय लगेगा। शोधकर्ता इसे बड़े पैमाने पर प्रयोग करने और “बायो-फॉर्मूलेशन” विकसित करने की योजना बना रहे हैं। इस प्रक्रिया में बैक्टीरिया को प्राकृतिक सामग्रियों के साथ मिलाकर एक ऐसा उत्पाद बनाया जाएगा, जो किसानों के लिए उपयोग में सरल और टिकाऊ हो।

पर्यावरण और किसानों के लिए फायदे

इस बैक्टीरिया का उपयोग मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार करने और रासायनिक उर्वरकों की आवश्यकता को कम करने में मदद करेगा। यह तकनीक न केवल पर्यावरण को बचाएगी, बल्कि किसानों को आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाएगी।

फंगल रोगों से बचाव और फसल उत्पादन में वृद्धि के कारण, यह बैक्टीरिया किसानों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान के रूप में उभरेगा।

IIT बॉम्बे की यह खोज भारतीय कृषि के लिए एक मील का पत्थर साबित हो सकती है। यह न केवल मिट्टी को शुद्ध करने और फसल उत्पादन को बढ़ाने में मदद करती है, बल्कि किसानों के लिए एक सस्ता और टिकाऊ समाधान भी प्रदान करती है।

इस तकनीक के बड़े पैमाने पर उपयोग से न केवल पर्यावरण को फायदा होगा, बल्कि किसानों की आय और देश की कृषि उत्पादकता में भी उल्लेखनीय सुधार होगा। यह खोज भारत के कृषि क्षेत्र को एक नई दिशा देने में सक्षम है।

Source – IIT Bombay

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