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ISRO Successfully Germinates Cowpea Seeds in Space Under Microgravity in Just 4 Days

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अंतरिक्ष में जीवन और कृषि की संभावनाओं की तलाश में, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल की है। अपने PSLV-C60 POEM-4 मिशन के दौरान, इसरो ने सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण (Microgravity) स्थितियों में लोबिया के बीजों को केवल चार दिनों में सफलतापूर्वक अंकुरित किया। यह सफलता अंतरिक्ष स्थितियों में पौधों के विकास को समझने और टिकाऊ अंतरिक्ष-आधारित कृषि प्रणालियों को विकसित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

CROPS पेलोड: एक अनूठी प्रणाली

ISRO

इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) द्वारा विकसित किया गया CROPS (Compact Research Module for Orbital Plant Studies) पेलोड इस मिशन का मुख्य आकर्षण था। यह एक स्वचालित प्रणाली है, जिसे विशेष रूप से माइक्रोग्रैविटी में बीज अंकुरण और पौधों के अस्तित्व पर शोध करने के लिए डिजाइन किया गया है। CROPS प्रणाली में उन्नत निगरानी उपकरण शामिल हैं, जैसे:

  • हाई-डेफिनिशन कैमरे
  • ऑक्सीजन और कार्बन डाइऑक्साइड स्तर के सेंसर
  • आर्द्रता डिटेक्टर
  • तापमान मॉनिटर
  • मिट्टी की नमी मापने वाले उपकरण

ये उपकरण पौधों के विकास को लगातार देखने और डेटा एकत्र करने में मदद करते हैं, जो पृथ्वी से परे कृषि अध्ययनों के लिए आवश्यक है।

चार दिनों में लोबिया के बीज अंकुरित

CROPS पेलोड के तहत, आठ लोबिया के बीजों को सटीक तापमान नियंत्रण के साथ एक बंद बॉक्स में रखा गया। इस प्रक्रिया ने न केवल बीजों को अंकुरित किया, बल्कि यह दिखाया कि अंतरिक्ष में पौधों का विकास संभव है। चार दिनों के भीतर बीज अंकुरित हो गए, और जल्द ही उनके पत्तों का विकास होने की उम्मीद है। यह प्रयोग अंतरिक्ष स्थितियों में पौधों की जीवनशैली और उनकी अनुकूलन क्षमता को समझने की दिशा में महत्वपूर्ण प्रगति का प्रतीक है।

PSLV-C60 POEM-4 मिशन की विशेषताएं

ISRO

PSLV-C60 POEM-4 मिशन इसरो की वैज्ञानिक क्षमताओं का एक और उदाहरण है। इस मिशन में 24 परिष्कृत पेलोड शामिल थे, जिन्हें इसरो और विभिन्न शैक्षणिक संस्थानों ने संयुक्त रूप से विकसित किया। मिशन ने अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की विस्तारित क्षमताओं को प्रदर्शित किया और अंतरिक्ष में जीवन के लिए नई संभावनाओं को उजागर किया।

अंतरिक्ष कृषि के लिए नई संभावनाएं

यह प्रयोग अंतरिक्ष में कृषि की स्थिरता की दिशा में एक प्रमुख मील का पत्थर है। चरम स्थितियों में पौधों की सफल वृद्धि दिखाती है कि अंतरिक्ष कृषि मानव बस्तियों के लिए आवश्यक आत्मनिर्भरता प्रदान कर सकती है। यह न केवल भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को सशक्त बनाएगा, बल्कि अन्य खगोलीय पिंडों पर बस्तियां स्थापित करने के लिए भी आवश्यक आधार तैयार करेगा।

भविष्य की योजनाएं

CROPS पेलोड को एक बहु-चरणीय पहल के रूप में डिजाइन किया गया है। इसका उद्देश्य अंतरिक्ष स्थितियों में पौधों के विकास के तरीकों को समझना और टिकाऊ कृषि पद्धतियों को विकसित करना है। यह पहल न केवल अंतरिक्ष अनुसंधान को बढ़ावा देगी, बल्कि अंतरिक्ष में मानव जीवन को संभव बनाने के लिए आवश्यक संसाधन भी प्रदान करेगी।

ISRO द्वारा लोबिया के बीजों का सफलतापूर्वक अंकुरण अंतरिक्ष कृषि में एक क्रांतिकारी कदम है। यह प्रयोग न केवल अंतरिक्ष में पौधों की वृद्धि को समझने में मदद करेगा, बल्कि पृथ्वी से परे जीवन की संभावनाओं को भी मजबूती प्रदान करेगा। इस सफलता ने अंतरिक्ष अनुसंधान में भारत की स्थिति को और मजबूत किया है और अंतरिक्ष अन्वेषण के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल दिए हैं |

Source – ISRO

ISRO Successfully Germinates Cowpea Seeds in Space Under Microgravity in Just 4 Days

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