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मशरूम की खेती से बनी उद्यमी: प्रतिभा झा की प्रेरक कहानी

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जानें बिहार की प्रतिभा झा की प्रेरक कहानी, जिन्होंने 500 रुपये से मशरूम की खेती शुरू कर 2 लाख रुपये महीना कमाने वाला व्यवसाय खड़ा किया और 10,000 से अधिक किसानों को प्रशिक्षण देकर सशक्त बनाया

बिहार के दरभंगा की एक महिला उद्यमी, प्रतिभा झा, ने 500 रुपये के छोटे निवेश से मशरूम की खेती में एक सफल व्यवसाय स्थापित कर दिखाया। आज, वह न केवल हर महीने 2 लाख रुपये तक का कारोबार करती हैं, बल्कि 10,000 से अधिक किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण देकर उन्हें सशक्त बना रही हैं। उनकी कहानी संघर्ष, आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प का जीता-जागता उदाहरण है।

मशरूम की खेती

संघर्ष से भरी शुरुआत

प्रतिभा झा का जन्म बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में हुआ। बचपन में ही उन्हें स्थानीय किसानों को मशरूम की खेती करते देख प्रेरणा मिली। हालांकि, उन्होंने कभी नहीं सोचा था कि यह उनका पेशा बन जाएगा।

15 साल की उम्र में उनके पिता का निधन हो गया और उनकी शादी दरभंगा के मिर्जापुर हांसी गांव में एक इंजीनियर से कर दी गई। शादी के बाद भी, मशरूम की खेती में उनकी रुचि बनी रही। हालांकि, शुरुआत में उनके ससुराल वाले और गांव के लोग उनके काम को महत्व नहीं देते थे।

सफलता की शुरुआत

प्रतिभा झा की प्रेरक कहानी

2016 में, प्रतिभा ने बिहार कृषि विश्वविद्यालय, भागलपुर से मशरूम की खेती का औपचारिक प्रशिक्षण लिया। 500 रुपये के निवेश से उन्होंने अपने घर के एक छोटे से कमरे में मशरूम की खेती शुरू की। ऑयस्टर मशरूम की पहली फसल ने उन्हें 1,000 रुपये की कमाई दी। यह मामूली शुरुआत उनके लिए आत्मविश्वास का स्रोत बनी।

हालांकि, मशरूम स्पॉन की उपलब्धता एक बड़ी चुनौती थी। इस समस्या को हल करने के लिए, उन्होंने दिल्ली के पूसा विश्वविद्यालय से 15 दिन का प्रशिक्षण लिया और खुद स्पॉन बनाना शुरू किया।

व्यवसाय का विस्तार

प्रतिभा ने मशरूम की नई किस्मों जैसे बटन और मिल्की मशरूम की खेती करना शुरू किया। अपने उत्पादों को बेहतर बनाने के साथ ही उन्होंने उन्हें स्थानीय बाजारों में बेचना शुरू किया। शुरूआत में, लोगों को मशरूम के उपयोग के प्रति जागरूक करना चुनौतीपूर्ण था। लेकिन उनके उत्पाद की गुणवत्ता और मेहनत रंग लाई।

2017 तक, उनके मशरूम की मांग स्थानीय बाजारों में बढ़ने लगी। अपने ग्राहकों का विश्वास जीतने के लिए उन्होंने ताजे और रसायन-मुक्त मशरूम 20 रुपये प्रति किलो की दर से बेचना शुरू किया। धीरे-धीरे, उनकी गुणवत्ता का नाम फैलने लगा और लोग उनके पास ऑर्डर देने आने लगे।

2018 में, प्रतिभा ने अपने ज्ञान को दूसरों के साथ साझा करना शुरू किया। उन्होंने दरभंगा कृषि विभाग के साथ मिलकर प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए। शुरुआती दिनों में, उन्होंने प्रति सत्र 500 रुपये कमाए और हर महीने 20 सत्र आयोजित किए। आज, वह प्रत्येक सत्र से 1,200 रुपये कमाती हैं और हर महीने नियमित रूप से प्रशिक्षण देती हैं।

अब तक, प्रतिभा 10,000 से अधिक किसानों को मशरूम की खेती का प्रशिक्षण दे चुकी हैं। उनका कहना है, “सबसे संतोषजनक अनुभव यह है कि जो किसान कभी मशरूम की खेती के बारे में नहीं जानते थे, वे अब अच्छी कमाई कर रहे हैं।”

आय के स्रोत

प्रशिक्षण सत्र: प्रति महीने 40,000-50,000 रुपये।
मशरूम स्पॉन की बिक्री: हर महीने लगभग 1 लाख रुपये।
ताजे मशरूम की बिक्री: प्रति दिन 15-20 किलो मशरूम बेचकर हर महीने 15,000-20,000 रुपये।
मूल्यवर्धित उत्पाद: मशरूम अचार, पापड़ और स्नैक्स।

इन सभी प्रयासों से उनका मासिक टर्नओवर लगभग 2 लाख रुपये तक पहुंच गया है।

भविष्य की योजनाएं

मशरूम की खेती प्रतिभा झा

प्रतिभा का सपना है कि वह बिहार के अन्य जिलों में अपना व्यवसाय फैलाएं और अधिक से अधिक लोगों को मशरूम की खेती से जोड़ें। वह कहती हैं, “मेरा मानना है कि कोई भी व्यक्ति जिसके पास खाली कमरा हो, वह मशरूम की खेती शुरू कर सकता है। यह सबसे आसान व्यवसाय है।”

प्रतिभा का जीवन यह सिखाता है कि अगर आपके पास दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति हो, तो आप किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं। वह कहती हैं, “पहला कदम उठाने से न डरें। सफलता इस बात पर निर्भर नहीं करती कि आपके पास कितना पैसा या संसाधन हैं, बल्कि इस पर निर्भर करती है कि आप कितनी मेहनत और लगन से काम करते हैं।”

उनकी कहानी उन लोगों के लिए एक प्रेरणा है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं। प्रतिभा ने न केवल खुद को सशक्त किया, बल्कि हजारों किसानों को भी आत्मनिर्भर बनने का मार्ग दिखाया।

मशरूम की खेती से बनी उद्यमी: प्रतिभा झा की प्रेरक कहानी

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